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मकर संक्रांति का परिचय ( Makar Sankranti 2023 )

मकर संक्रांति पर्व का हर साल जनवरी के महीने में आता है। यह एक पौराणिक महत्व वाला त्यौहार है। जो मुख्यतः भारत और नेपाल में मनाया जाता है। यह त्यौहार पौष मास में सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय जितना भी होता है उस समय को सौर मास कहा जाता है। 

यह साल का सबसे छोटा दिन होता है और सबसे लंबी रात होती है। इस दिन सूर्य देव उत्तरायण हो जाते हैं जो कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की किरणों का तेज बढ़ने लगता है और इसी दिन से सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। 

यह त्यौहार हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन कभी कभी यह तारिख आगे या पीछे भी हो जाती है। शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रान्ति पर्व से शुभ दिनों की शुरुआत हो जाती है। यह समय उत्सव और खुशी वाला माना जाता है। सनातन मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन स्वर्ग का दरवाजा खुल जाता है। इसलिए इस समय किये गए दान का बाकी दिनों में किये गए दान अथवा पुण्य से ज्यादा फल प्राप्त होता है।  

क्योंकि यह समय अध्यात्मिक महत्व वाला होता है और सूर्य देवता से जुड़ा हुआ है इसलिए इस समय लोग पूजा पाठ और अनुष्ठान भी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा पाठ करने से लोग उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

मकर संक्रांति मनाए जाने की कहानी (Makar Sankranti Story) Makar Sankranti Kyu Manate Hai

मकर संक्रांति त्यौहार के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं उनमें से एक कहानी है कि इस दिन भगवान सूर्य स्वयं अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाया करते हैं। अब मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं तो इस कारण से इस दिन को मकर संक्रांति कहा जाता है। 

ऐसी मान्यता है कि इस दिन यदि पिता अपने पुत्र से मिलने जाते हैं तो उनके बीच कभी मतभेद नहीं होते हैं और यदि किसी वजह से मतभेद बने हुए हैं तो वे समाप्त हो जाते हैं और घर में सौहार्द और स्नेह का वातावरण बना रहता है। 

एक और कथा जो भीष्म पितामह जी से जुड़ी हुई है। भीष्म पितामह जी को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। महाभारत युद्ध में अर्जुन के तीरों से छलनी होने के बाद जब पितामह बाणों की शैय्या पर लेटे हुए थे। अपनी देह त्याग करने के लिए उन्होंने सूर्य देव के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा की और फिर उन्होने अपना शरीर त्यागा क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इस दिन प्राण त्याग करने पर मोक्ष प्राप्त होता है, जीवन और मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिलती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव उत्तरायण होते हैं।

मकर संक्रांति का त्यौहार कैसे मनाएं:

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति पर सुबह सुबह शुभ मुहूर्त में नदी में स्नान करने सूर्य देव की पूजा करने और दान करने का विशेष महत्व है। 

सबसे पहले नदी में स्नान करके भगवान सूर्य को जल अर्पित करते हुए सूर्य की पूजा की जाती है। उसके बाद मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन करके प्रार्थना की जाती है। 

इसके बाद मंदिर में खिचड़ी, नमक, गुड़, घी, तिल के बने लड्डू, कंबल और ऊनी कपड़े, फल आदि का अपने सामर्थ्य अनुसार दान किया जाता है। 

घरों में इस दिन खिचड़ी बना कर खायी जाती है। लोग पतंग उड़ाते हैं और कहीं कहीं पतंगबाजी की प्रतियोगिता भी होती है।

मकर संक्रांति त्यौहार को कई तरीकों से मनाने के अलग अलग रीति रिवाज हैं, उनमें से कुछ प्रमुख परंपराएं निम्नवत हैं:

पवित्र नदियों में स्नान makar sankranti : 

मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन नदियों में स्नान करने की परंपरा है। लोग अपनी शुद्धि और देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रातः काल से ही गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर स्नान करते हैं। 

पतंगबाजी: 

पतंगबाजी की परंपरा भी लोगों में मकर संक्रांति के दिन बहुत ही लोकप्रिय है। क्या युवा क्या बुजुर्ग लगभग सभी उम्र के लोग इस दिन पतंगबाजी का लुत्फ उठाते हैं। कहीं कहीं पर प्रोफेशनल पतंगबाज इस दिन पतंग लड़ाने का मैच भी करते हैं। जिसमें बहुत दूर दूर से पतंगबाज शामिल होते हैं। वे अपने साथ बड़ी अनोखी पतंगें भी लाते हैं जो देखने में बहुत सुंदर लगती हैं। 

तिल और गुड़ की मिठाई बांटना:

इस दिन तिल और गुड़ से बने लड्डू खाए जाते हैं। अपने घर परिवार के सदस्यों और मित्रों के साथ तिल के लड्डू और गजक जैसी मिठाइयां खाई और बांटी जाती हैं। 

सूर्य देव की पूजा करना:

मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव का पूजन और अन्य सभी देवी देवताओं की पूजा करने का बहुत महत्व होता है। सुबह सुबह नदी में स्नान करने के साथ सूर्य देव को जल अर्पित करके सभी देवी देवताओं का स्मरण करके पूजा पाठ किया जाता है। 

गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना:

मकर संक्रांति में दान पुण्य करने का बहुत महत्व माना जाता है। गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से मन शांत होता है और देवी देवताओं का आशीर्वाद और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन पर जो भी दान किया जाता है वह बहुत फलदायी होता है। 

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क्या वस्तुएं दान की जाती हैं:

makar sankranti in hindi

तिल दान: 

इस दिन तिल का दान करने से पुण्य मिलता है। एक बार शनि देव के पिता सूर्य देव बहुत क्रोधित हो गए थे तो शनि देव जी ने उनका क्रोध शांत करने के लिए उनकी पूजा काले तिल से की थी जिससे सूर्य देव प्रसन्न हो गए थे। शनि दोष को भी दूर करने के लिए इस दिन तिल का दान किया जाता है। 

खिचड़ी दान:

मकर संक्रांति को खिचड़ी ( Khichdi 2023 ) भी कहते हैं। इस दिन यदि खिचड़ी का दान किया जाए तो बहुत शुभ माना जाता है। जरूरतमंदों को  चावल और दाल से बनायी हुई खिचड़ी खाई और दान की जाती है। उड़द की दाल और चावल के एकसाथ मिलने से खिचड़ी बनती है और कहा जाता है कि उड़द की दाल से शनि दोष दूर होते हैं और चावल के दान अक्षय फलदायी माना जाता है।

घी का दान:

मकर संक्रांति के दिन दान का बहुत महत्त्व होता है और इस दिन घी का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। घी का संबंध सूर्य और गुरु से बताया गया है। इसलिए इस दिन भौतिक सुख सुविधाओं, यश और सम्मान को पाने के लिए मकर संक्रांति पर घी का दान किया जाता है। 

नमक का दान:

मकर संक्रांति पर्व में नमक भी दान करने की परंपरा है। इस दिन नमक का दान करने से घर में व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। जिससे सकारात्मक ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है और घर का वातावरण पवित्र होता है। 

ऊनी कपड़ों और कंबल का दान:

मकर संक्रांति या खिचड़ी वाले दिन ऊनी वस्त्र और कंबल का दान करना बहुत शुभ होता है इससे शनि और राहु के दोष दूर होते हैं। 

इसलिए यदि संभव हो तो इस दिन किसी जरूरतमंदों को ऊनी कपड़े या कंबल जरूर दान करना चाहिए। 

नए वस्त्र का दान:

इस दिन जरूरतमंदों को नए वस्त्रों का दान जरूर करना चाहिए। गरीबों और जरूरतमंदों को नए कपड़ों का दान करने से घर में सुख समृद्धि आती है और कारोबार में वृद्धि होती है। 

गुड़ का दान:

मकर संक्रांति पर गुड़ खाना और खिलाना दोनों ही शुभ माना जाता है। इस दिन गुड़ और तिल से बने लड्डू भी दान किए जाते हैं। गुड़ का दान करने से गुरु प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा दृष्टि बनी रहती है। 

भारत में मकर संक्रांति के विभिन्न रूप और नाम:

देश भर में मकर संक्रांति बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। देश के अलग राज्यों में इसे मनाने की परंपराएं अलग हैं। भारत में इस त्यौहार को ज्यादातर जगहों पर मकर संक्रांति के नाम से ही जाना जाता है इसे कुछ राज्यों में अलग नामों से भी जानते हैं।

खिचड़ी: 

उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में इसे खिचड़ी पर्व कहा जाता है। इस दिन चावल के साथ मूंग या उरद की दाल से बनी खिचड़ी पकाई और खिलाई जाती है। प्रयागराज में इसी से माघ मेले की शुरुआत होती है। इस दिन यहां की पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, गोमती, सरयू में स्नान करने की परंपरा है। इन नदियों में इस दिन इन जैसी पवित्र नदियों में नहाना बहुत शुभ माना जाता है।

पोंगल: 

देश में तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कुछ इलाकों में हम इसे पोंगल के नाम से जानते हैं। यह मुख्य रूप से किसानों के त्यौहार के तौर पर जाना जाता है। वहां यह त्यौहार कई दिनों तक मनाया जाता है।

माघी 

पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में इस त्यौहार मुख्य रूप से मनाया जाता है। 

हिन्दी कैलेंडर के हिसाब से यह माघ के महिने में आता है इसलिए इसको माघी पर्व के नाम से जानते हैं। 

इस पर्व की शुरुआत सिक्खों के तीसरे गुरु गुरु अमर दास जी ने की थी। उन्होंने बैसाखी और दिवाली के जैसे इस दिन को भी मनाने को कहा था।  लेकिन बाद में यह चालीस सिक्खों के बलिदान के तौर पर जाना जाने लगा। 

ये वो 40 सिक्ख थे जिन्होंने गुरु गोविंद सिंह जी के साथ मुगुलों की सेना से सन 1705 में युद्ध किया था और शहीद हो गए थे। 

इस दिन पंजाब की अलग अलग जगहों पर माघी मेले का आयोजन किया जाता है। लोगों को गुड़ वाली खीर प्रसाद के तौर पर बांटी जाती है। 

उत्तरायण: 

राजस्थान और गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण पर्व के नाम से जाना जाता है। यहां पर इस दिन पतंग महोत्सव भी होता है जिसमें देश विदेश से लोग आते हैं और पूरे आकाश में रंग बिरंगी और सुंदर पतंगें छा जाती हैं और दो दिनों तक यह त्यौहार मनाया जाता है।

बिहू:

असम राज्य में किसान यह त्यौहार अपनी फसलों के तैयार हो जाने की खुशी में मनाते हैं। यहां मकर संक्रांति का त्यौहार बिहू के नाम से जाना जाता है। 

यहां पर इस दिन तिल गुड़ चावल आदि से पकवान तैयार किए जाते हैं। इन पकवानों में तिल पिट्ठा नामक पकवान मुख्य है। इसी खुशी में लोग यहां का पारंपरिक लोक नृत्य करते हैं और बधाइयां देते हैं।

मकर संक्रमण:

कर्नाटक में मकर संक्रांति को मकर संक्रमण के नाम से जाना जाता है। यहां भी इस दिन स्नान करने और दान करने को महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य देव जब किसी राशि में प्रवेश करते हैं तो यह समय संक्रमण काल कहलाता है। क्योंकि इसदिन वह मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए इसे मकर संक्रमण कहते हैं। 

दुनिया के बाकी हिस्सों में मकर संक्रांति Makar Sankranti in rest of the world :

मकर संक्रांति का त्यौहार सिर्फ भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में 14 जनवरी को अलग अलग नामों से मनाई जाती है।

  • नेपाल में मकर संक्रांति को माघ संक्रांति या खिचड़ी संक्रांति के नाम से मनाते हैं। 
  • बंगलादेश में इस त्यौहार को  पौष संक्रान्ति के नाम से मनाते हैं।
  • थाईलैंड में भी यह त्यौहार सोंगकरन के नाम से मनाया जाता है।
  • कंबोडिया में भी मकर संक्रांति मनाई जाती है वहां पर इसे मोहा संगक्रान के नाम से मनाते हैं।
  • श्रीलंका में मकर संक्रांति को वहां के लोग इसे उझावर थिरुनाल कहते हैं। 
  • लाओस में लोग इस त्यौहार को मनाते हैं और इसे वह  पी मा लाओ कहते हैं। 

निष्कर्ष:

मकर संक्रांति कुल मिलाकर हर्षोल्लास और आध्यात्म से मन की शुद्धि और ईश्वर से जुड़ाव का पर्व है। 

मकर संक्रांति पर्व देश और दुनिया में अलग अलग तरीकों से और नामों से मनाया जाता है लेकिन उन सभी जगहों पर कुछ अनुष्ठान ऐसे हैं जो लगभग सभी जगहों पर एक जैसे हैं जैसे कि पवित्र नदियों में स्नान करना, पूजा करना, मिठाई बांटना, पतंग उड़ाना, गरीबों को दान देना आदी शामिल है। 

इस त्यौहार को हम सदियों से अपने परंपरागत तरीके से अपने सामाजिक परिवेश में और अपनी धार्मिक आस्था के साथ जुड़े रहते हुए मनाते चले आ रहे हैं। 

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मकर संक्रांति 2023 में कब है?

इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी 2023 को है।

मकर संक्रांति में किसे पूजा जाता है?

मकर संक्रांति में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है।

मकर संक्रांति में हम किन चीजों का दान करते हैं?

मकर संक्रांति पर हम खिचड़ी, नमक, गुड़, तिल के बने लड्डू, कंबल और ऊनी वस्त्र आदि का दान करते हैं। 

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