राम नवमी: Ram Navmi | भगवान राम के जन्मदिन का उत्सव |

राम नवमी Ram Navmi हमारे देश के महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जिसे दुनिया भर में हिन्दुओं द्वारा धूम धाम से मनाया जाता है। 

यह भगवान श्री राम के जन्मदिन का प्रतीक है, जो भगवान श्री विष्णु के सातवें अवतार के रूप में जाने जाते हैं। 

Ram Navmi का पर्व चैत्र नवरात्रि के नवें दिन मनाया जाता है। इस त्यौहार का हिंदू पौराणिक कथाओं में बहुत महत्व रखता है और जिसे देश भर में बहुत उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता है। 

आज हम आपको अपने ब्लॉग में राम नवमी पर्व से जुड़ी हुई परंपराओं और हमारे जीवन में इसके महत्व के बारे बताएंगे। 

तो फिर चलिए जाना जाए भगवान श्री राम जी के जन्मदिन रामनवमी के महत्व और परंपराओं के बारे में। 

यह भी पढ़ें:

श्री राम जी की आरती

पारिजात वृक्ष का क्या पौराणिक महत्व है?

दुर्गा माता की आरती

राम नवमी का पौराणिक महत्व:

भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है और उनका सम्पूर्ण जीवन सदाचार, सत्यनिष्ठा और पराक्रम का प्रतिरूप है। 

सदैव बुराई का अंत करने के लिए, सच्चाई और धर्म के मार्ग को सबसे ऊपर रखने के लिए उनसे लोगों को हमेशा प्रेरणा मिलती रही है और उनके द्वारा दी गई शिक्षाएं आज भी हमारा मार्ग दर्शन करती हैं। 

इस तरह से हम यह कह सकते हैं कि रामनवमी उनके जन्म का त्योहार ही नहीं है बल्कि यह पर्व हमें उनकी मिलने वाली शिक्षाओं और उनके जीवन के मूल्यों के महत्व की याद भी दिलाता है। ऐसी मान्यता है की भगवान श्री राम की इस दिन सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

भगवान श्री राम का जन्म:

हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णन है कि, भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या के राजा श्री दशरथ और रानी माता कौशल्या के घर चैत्र नवरात्रि के नवें दिन हुआ था। 

श्री राम जी का जन्म दोपहर के समय हुआ था। उनके जन्म का वक्त सूर्योदय के समय के हिसाब से देखा जाता है जो आज की घड़ियों के समय अनुसार सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच पड़ता है। रामनवमी पूजा करने का यही सबसे उत्तम समय माना जाता है। इस समय भगवान राम के जन्म का उत्सव अपने चरम पर होता है। 

Ram Navmi
Ram Navmi

राम नवमी की परंपरायें और रीतियां:

राम नवमी धर्म और आस्था का पर्व है और इसे मनाने के लिए कई तरह की परंपराओं और रीतियों का पालन किया जाता है। लोग उपवास रखते हैं, पूजा अर्चना करते हैं, भजन कीर्तन करते हैं, और अखंड रामायण का पाठ करते हैं। 

अलग अलग जगहों की अलग अलग तरह की प्रथाएं होती हैं। उनमें जुड़ी हुई कुछ लोकप्रिय प्रथाओं के बारे में हम आपको बता रहे हैं। 

1. पूजा: 

इस दिन भक्तगण सुबह सुबह मंदिरों में जाते हैं भगवान श्री राम और माता सीता के दर्शन कर पूजन और वंदन करते हैं।

साथ ही सभी देवी देवताओँ के दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं और आरती और भजन करते हैं। 

2. दान-पुण्य 

रामनवमी Ram Navmi के दिन दान पुण्य करने की प्रथा है लोग इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और रुपए का दान करते हैं। 

3. शोभा यात्रा: 

देश भर के अनेक हिस्सों में भगवान राम, सीता लक्ष्मण और हनुमान जी की शोभा यात्राएं निकाली जाती है। इन यात्राओं में शामिल हुए लोग अपनी परंपरागत परिधान पहनने हैं और पूरी यात्रा में कीर्तन भजन गाते हुए चलते हैं। 

4. उपवास: 

व्रत या उपवास करना इस त्योहार का एक अभिन्न हिस्सा है। भक्तगण अपने प्रभु श्री राम का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कई तरह से व्रत रखते हैं, और श्री राम की भक्ति में लीन रहते हैं। 

राम नवमी Ram Navmi में भक्तों द्वारा रखे जाने वाले व्रत के कई तरीके हैं उनमें से कुछ के बारे में हम यहां आपको बता रहे हैं।

1. निर्जला व्रत: 

रामनवमी Ram Navmi पर्व पर रखे जाने वाले उपवासों के प्रकार में यह सबसे कठोर तरह का उपवास माना जाता है। यह व्रत कठिन तप के जैसा महत्व रखता है। 

निर्जला उपवास का अर्थ होता है बिना पानी और अनाज खाए पूरे दिन व्रत रहना। यह मान्यता है कि इस तरह से व्रत रखने से मन और शरीर दोनों ही शुद्ध होते हैं घर में शांति और समृद्धि आती है। 

2. फलाहार व्रत: 

इस व्रत में भक्तगण सिर्फ फलाहार, मेवे और दूध का सेवन करते हैं। भक्त अनाज अथवा अन्य मांसाहारी भोजन पदार्थों दूर रहते हैं। इस तरह का उपवास उन लोगों के लिए अच्छा माना जाता है जिन्हे पूरे दिन भूखे रहने में कठिनाई होती है। 

3. एक भुक्त व्रत: 

इस तरह के व्रत में जब 24 घंटे में केवल एक ही बार किसी एक प्रकार के अन्न का सेवन किया जाता है तो इस प्रकार के उपवास को एक भुक्त उपवास कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि, इस तरह के व्रत को करने से मन और शरीर विषमुक्त हो जाता है। 

4. सात्विक व्रत: 

सात्विक व्रत में भक्त सिर्फ फल, मेवे, दूध, और सब्जियों जैसे सात्विक आहार का सेवन करते हैं। इन सात्विक खाद्य पदार्थों को शुद्ध माना जाता है। और यह माना जाता है कि इस तरह व्रत रखने से शारारिक और मानसिक स्वास्थ्य में संतुलन बना रहता है। 

Ram Navmi में व्रत करना भगवान के प्रति अपनी भक्ति और आस्था को जताने का तरीका माना जाता है। 

भक्तगण इसे खुशी खुशी पूरे मन से करते हैं जिससे कि उनको भगवान श्री राम का आशीर्वाद प्राप्त हो सके। जैसा कि इस त्यौहार में कई तरह के व्रत रखे जाते हैं उनमें से कुछ के बारे में यहां बताया गया है। 

भक्तगणों को अपने स्वास्थ्य का खयाल रखते हुए और अपने रहन सहन के हिसाब से उचित व्रत करने के तरीके को चयन करना चाहिए और भक्ति और श्रद्धा से अपने उपवास को पूरा करना चाहिए। 

देश भर में राम नवमी समारोह: Ram Navmi: 

रामनवमी Ram Navmi का त्योहार सम्पूर्ण देश में बड़ी ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस पर्व को मानने का तरीका हर जगह अलग अलग होता है। 

प्रत्येक राज्य में अलग अलग तरह की परंपराओं के साथ यह पर्व मनाया जाता है।

उत्तर प्रदेश की नगरी अयोध्या जोकि भगवान श्री राम की जन्मस्थली है, वहां इस दिन सबसे भव्य समारोह आयोजित होता है। 

अयोध्या नगरी को इस पर्व का केंद्र माना जाता है। पूरे नगर को रोशनी से सजाया जाता है। सरयू नदी के तट पर लाखों दीयों की रोशनी की जाती है। 

लाखों लोग दूर दूर से लोग इस दिन प्रभु श्री राम की जन्मस्थली में उनके दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। 

लोग सरयू नदी में डुबकी लगाते हैं, उसके बाद प्रभु श्री राम के दर्शन कर उनकी मिठाई फूल और फल अर्पण करके पूजा अर्चना करते हैं। वहां से एक भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है, को कि सरयू नदी पर आकर समाप्त हो जाती है। 

यह भी पढ़ें:

श्री राम जी की आरती

पारिजात वृक्ष का क्या पौराणिक महत्व है?

दुर्गा माता की आरती

आज के समय में भगवान राम की शिक्षाओं का महत्व: 

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की शिक्षाएं हमेशा से संसार भर के लोगों को प्रेरित करती हैं। राम जी का आचरण और उनके उपदेश एक वृहत शिक्षालय की तरह से हैं। 

वह भ्रातृ स्नेह करने वाले, पिता की आज्ञा का पालन करने वाले, गुरु का सम्मान, सुख दुख में एक समान रहने वाले, एक पत्नी व्रती, सच्ची मित्रता रखने वाले, धैर्य, क्षमा, वीरता जैसे गुणों परिपूर्ण प्रभु श्री राम से हमें जीवन के हर क्षेत्र में शिक्षा मिलती है। 

उनके धर्म, करुणा, और विनम्रता के आचरण की शिक्षाएं हमारे समाज को शांति और आपसी सदभाव को बढ़ावा देने में सक्षम हैं।

बस आवश्यकता है उसको आत्मसात करने की और उसे जीवन में उतारने की। 

निष्कर्ष

निसंदेह राम नवमी Ram Navmi हमें प्रभु श्री रामचंद्र जी के जन्मोत्सव का त्यौहार होने के साथ साथ उनके  द्वारा दी गई शिक्षाओं और उन जीवन मूल्यों की याद भी दिलाता है जिनके लिए वे सदैव अडिग खड़े रहे। 

भगवान श्री राम का आशीर्वाद हम सभी पर सदैव बना रहे।

II जय सीता राम II 

राम नवमी पूजा विधि:

राम नवमी पर श्री राम जी पूजा का तरीका हम आपको बता रहे हैं:

तैयारी: 

पूजा शुरू करने से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनने चाहिए। भगवान राम जी की मूर्ति या फोटो फ्रेम रखना चाहिए। पूजा का सारा सामान जैसे फल फूल और धूपबत्ती दिया यह सब की व्यवस्था पहले ही करके तैयार कर लेना चाहिए। 

कलश स्थापना: 

अब उसके बाद पूजा शुरू करने से पहले कलश स्थापना करनी चाहिए उस कलश में पानी आम के पत्ते और उसके ऊपर लाल वस्त्र में लिपटा हुआ एक नारियल रखना चाहिए।

ऐसा माना जाता है कि यह देवताओं को घर में आमंत्रित करने का एक तरीका होता है साथ ही इससे आसपास का वातावरण भी शुद्ध होता है।

श्री गणेश पूजा: 

कलश स्थापना हो जाने के बाद सबसे पहले भगवान श्री गणेश जी का आशीर्वाद लेने के लिए उनकी पूजा करी जाती है भगवान श्री गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।

भगवान को भोग में मिठाई एवम फल चढ़ाएं। 

संकल्प: 

भगवान श्री गणेश जी की पूजा होने के बाद पूरे मन और भक्ति भाव के साथ अपने इष्ट देव को याद करके पूजा करने का संकल्प लिया जाता है।

नवग्रह पूजा: 

जीवन में सुख समृद्धि के लिए नौ ग्रहों की पूजा करें और उनका स्मरण करते हुए आशीर्वाद प्राप्त करें।

श्री राम नवमी पूजा: 

राम नवमी Ram Navmi पूजा में भगवान श्री राम माता सीता भगवान श्री हनुमान और अन्य देवी देवताओं की पूजा की जाती है। 

भगवान श्री राम और माता सीता की मूर्तियों या तस्वीरों को पूजा घर में एक सजे हुए आसन पर रखना चाहिए और उन्हें फल फूल और मिठाइयों का भोग चढ़ाया जाना चाहिए। 

मंत्र जाप: 

इसके बाद सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद लेने के लिए श्री राम रक्षा स्त्रोत, हनुमान चालीसा और अन्य मंत्रों का जाप करना चाहिए।

आरती: 

फिर एक दीपक प्रज्वलित करके भगवान राम की आरती करनी चाहिए। साथ ही अन्य सभी देवी देवताओं की आरती करनी चाहिए। 

आरती संपन्न होने के बाद मन में ईश्वर का स्मरण करते हुए उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। 

घर के सभी सदस्यों को आरती लेना चाहिए। 

यदि संभव हो तो रामायण और अन्य पवित्र ग्रंथों का पाठ भी करना चाहिए। 

प्रसाद वितरण: 

और आखिर में पूजा संपन्न होने के बाद सभी लोगों में प्रसाद का वितरण करना चाहिए।

सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा को पूरी भक्ति और समर्पण के साथ करना चाहिए।

 

यह भी पढ़ें:

श्री राम जी की आरती

पारिजात वृक्ष का क्या पौराणिक महत्व है?

दुर्गा माता की आरती


Leave a Reply

Avatar placeholder

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!